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जैनीः-चेतन.
नास्तिकः-यदि जीव चेतन है तो जीव को परलोक का ज्ञान अर्थात् स्मरण क्यों नहीं होता ?
जैनीः-जीव को परलोक का ज्ञान अथात् स्मृति के न होने से क्या जीव की चेतनता की और परलोक की नास्ति हो जायगी?
, नास्तिकः और क्या ? .... . जैनी:-किस कारण से ? . .
नास्तिकः-किस कारण से क्या ? यदि जीव चेतन अर्थात् ज्ञानवान् होता, और परलोक से आता जाता, तो परलोक का स्मरण (याद) क्यों कर न होता? .
जैनी:-अरे नोले ! तुझे गर्जवास की अवस्था स्मरण नहीं है, तो क्या तुम गर्न से उत्पन्न नहीं हुए हो? वा, तुम चेतन नहीं