Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 246
________________ giri . . नास्तिकः-खैर, अग्नि से ही सही. परन्तु जैनी जी! अग्नि नी तो जम है. ... .. जैनी:-अग्नि जम दी सही, परन्तु नास्तिक जी! मिलाने वाले चलाने वाला तो चेतन दी है. तांते जम से न्यारा चेतन कोई और ही है. (१५) नास्तिकः-नला! शब्द, रूप, गंध, रस, स्पर्श, ग्रहण करने की शक्ति इन्ज्यिों में है वा जीव में, अर्थात् देखने का गुण आंखों . में है वा जीव में ? जैनीः-जब तक जीव अज्ञान कर्म के . अनुबंध है, तब तक तो न अकेला जीव देख सकता है और नाही आंख देख सकती है; ... क्यों कि यदि जीव देख सकता, तो अन्ध पु रुष जी चक्षु से विना दी देख सकता, और जो आंखें देख सकती तो जीव निकल जाने

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