Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 251
________________ सकेगा; यथा किसी कवी ने कैसा. ही सुन्दर दोहा कहा है:परमेश्वर परलोक को जय कहीं जिस चित्त, गुह्य देशमें पाप सों कबहूं नवचसी मित्त र - तां ते परमेश्वर और परलोक पर निश्चय करके हिंसा, मिथ्या, काम क्रोधादि पूर्वोक्त उष्ट कर्मों का अवश्य ही त्याग, करना चादिये, और दया, सत्य, परोपकार आदि सत्य धर्म का अवश्य ही अनुष्ठान करना चाहिये, क्यों कि यदि परलोक होगा तो शुन के प्रजाव से इस लोक में तो यश दोगा और . विविध प्रकार के रोग और कलंक और राज दण्मादिकों से बचा रहेगा, और परलोक में शुन्न गति हो कर अत्यन्त सुखी होगा; यदि परलोक तेरी बुद्धि के अनुसार नहीं नी होगा तौ नी धर्म के प्रयोग से इस जगह तो यश आदिक पूर्वोक्त सुख होगा.

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