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Aranyan - ...
१४४ ब्रह्मचर्य, (५) निर्ममता. - प्रश्नः-यह तो सब ही मतों में मानते हैं, फिर भेद क्यों?
उत्तरः-अरे लाई! लेदों का सार यह है कि अच्छी बात के तो सब अच्छी ही कहेंगे, बुरी कोई भी नहीं कह शकता.
दोदा. नीकी को नीकी कहे, फीकी कदे न को; नीकी को फीकी कदे, सोइ मूर्ख हो. । परन्तु अच्छी करनी कठिन है. जैसे कि म्लेच्छ लोग नी कहते हैं कि हमारे कुरान शरीफ में अव्वल ही ऐसा लिखा है:“विसम अल्ला नल रढमान जल रहीम." अर्थः-शूरू अल्ला के नाम से जो निहायत रहमदील मेहरबान है, हमाश्व शरीफ मतरजम देहली में उपी सन् १३२६ हिजरी में. परन्तु जब पशुओं की तरफतों की गर्दन असग कर देते हैं तब रहमान और रहीम