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४२ व को पुष्टि देता है. परन्तु ईश्वर को तुम सर्वज्ञ मानते हो वह अपनी शक्ति (निरर्थक) अर्थात् निकम्मे पदार्थ कटीली, सत्यानाशी कोंचफली आदिक जन्तुओं में सांप, मन्चर
आदिक जीव जो किसीजी कृत्य को सम्पादन अर्थात् सिह नहीं कर सकते, प्रत्युत (बलिक) सब को हानि ही पहुंचाते हैं, तो उन्हें ईश्वर पुष्टि क्यों देता है? चेतन को तो शुभ 'अशुन, और नफा-नुकशान समझ कर पुष्टि देनि चाहिये, जैसे कि, मेघ (बादल) तो चाहे रूमी-करूली बाग में बरले, परन्तु माली तो फलदायक को ही सिञ्चन करेगा. मला! और देखो, ईश्वर की शक्ति चेतन, और सूर्य की तेजी जड;यह तुमारा हेतु कैसे मिल सकें ? मलाजी! फल फूलों को तो सूर्य पुष्टि देता है परन्तु सर्य को, फल फूलों को पुष्टि देने की शक्ति कॉन देता है ?
गुरू (हंस कर):--ईश्वर देता है.
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