________________ 160 साहित्यप्रेमी मुनि निरजनविजय संयोतिज दीन मनुष्य की इस प्रकार की श्रेष्ठ अर्थ गाम्भीर्य पूर्ण वाणी को सुनकर राजा ने प्रसन्न होकर एक लाख स्वर्ण मुद्रा और दी। दीनपुरुष द्वारा नंदराजा की कहानी का कहना -- राजा के पुनः कहने पर वह दीन पुरुष चमत्कार करने वाली एक बहुत बोध दायक कथा सुनाने लगा / 'राजा लोग कुलोनों का संग्रह करके राज्य करते हैं / आदि मध्य तथा अत कहीं भी वे विकार को प्राप्त नहीं करते / विशाल पुरी में एक नन्दराजा राग्य करता था / उसकी रानी का नाम भानुमति था / उसके विजय नामका पुत्र था / सकल नीति शास्त्र में पार गत बहुभ त नामका एक मन्त्री था। तथा अनेक शास्त्र के रहस्य जानने वाला शारदानन्दन नामका गुरु था / .. राजा सभा में सदा रानी भानुमती को साथ में रखता था / एक दिन राजा को मत्री ने कहाकि हे राजन् ! यह आप उचित कार्य नहीं करते हो / क्योंकिः-- -- 'मत्री मैद्य गुरुजन जिसके प्रिय प्रिय वचन सुनाता है। कोश देह धर्मों से वह नृप नष्ट भ्रष्ट हो जाता है।' * वैद्योगुरूश्च मन्त्री च यस्य राज्ञः प्रियंवदाः / शरीरधर्मकोशेभ्यः क्षिप्रं स परिहीयते / / 1246 / / 8 / / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust