________________ .548 विक्रम चरित्र किया और उसे बाझार में बेचकर उस द्रव्य को देकर वे एक रात वेश्या के यहां रहे. राजाने सुवह उस कन्था से 500 सोनामुहरें प्राप्त की, और सुंदर वेष को धारण किया तथा गरीबों को योग्य दान दिया. वेश्या की अक्काने गुप्त रीत से यह सब जाना कि, वह खटिका अश्व देता है और कन्था द्रव्य देती है, तब उस अक्काने कपटपूर्वक राजा से दोनों वस्तुएं ले ली. फिर उसके पास धन न होने से उस वेश्याने उन्हे निकाल दिया. जिस से खेदीत हो कर वे शोचने लगे, 'जिस प्रकार शास्त्र में वेश्या का वर्णन है, उसी प्रकार की छल कपटवाली वेश्याएं होती है; यह बात आज मैंने प्रत्यक्ष जानी. स्त्री तो पाकी बोरडी, हांस सहुने थाय; सौने लागे वाल ही, मूलवी नावे काय. इधर अवन्ती से जो पहले रवाना हुआ था वो भट्टमात्र मित्री घूमता हुआ यहां आ पहूँचा, और विक्रम राजा से भिला. राजाने रास्ते में दोनों कुड देखे, वह तथा पांच चोर मिले आदि वेश्या की सारी हकीकत अर्थात् अथेति अपना सारा ही वृत्तान्त सुना दिया. फिर दोनोने विचार करके कुछ तय किया, और वनमें गये; वे दोनो कुन्डो से ठण्डा और गरम पानी लाये. राजा और भट्टमात्र दोनो प्रकार के पानी को साथ लेकर नगरमें आये. राजा उस वेश्या के घर गये. कामलता जब स्नान कर रहा थी तब राजाने किसी प्रकार गुप्त रूप से उस पर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust