________________ 602 विक्रम चरित्र कर महाराजा को आदरपूर्वक अपने महल बुलाये. आने पर उसने महाराजा को सखियों द्वारा स्नान करवाया, और सुंदर अन्नपानादि से राजा का सुंदर सत्कार किया. ____कहा भी है कि-पानी का आनद शीतलता में है, दूसरे का अन्न खाने का आनंद उस के आदर में है, संसार में मनुष्य को अपनी स्त्री अनुकूल रहे तो आनंद मिलता है और मित्रों को परस्पर भीठे वार्तालाप में आनंद आता है, आदर सहित भूखा सुखा भोजन होवे तो भी वह अमृत तुल्य लगता है, और आदर रहित मिष्टान्न होवे तो भी वह झहर तुल्य लगता है. इस लिये एक कविने कहा है आव नहीं आदर नहीं, नहीं नयनो में नेह; उस घर कवु न जायीए, कंचन वरसे मेह. x ___ वह कन्या विचारने लगी, 'इस में सत्त्व और औदार्य आदि गुण किस प्रकार के हैं, उसकी परीक्षा कर के देखना चाहिये.' रात्रि में वह कन्या महल के अंदर कमरे में अपनी शय्या पर बैठी और पास ही सुंदर दीपिका रखी. और उस शय्या के दोनों तरफ बकरा और घोडा रखवाया. उसके आगे एक मनोहर रत्वमय सिंहासन स्थापित करवाया. जब महाराजा विक्रम दरवाजे के पास आये तो बकरेने पूछा, 'तुम कौन हो? और यहा किसकी शक्ति से आये हो ?' x आव है, आदर है, और नयनों में है स्नेह; उस घर सदा जायीए, यदि पथ्थर वरसे मेह. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust