Book Title: Samvat Pravartak Maharaja Vikram
Author(s): Niranjanvijay
Publisher: Niranjanvijay

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Page 743
________________ 650 विक्रम चरित्र ने एक रूप और एक ही रंग के कई घोडे महाराजा के चरणों में सादर अर्पण किये. मालव का महाराजा-भारत का मुकुटमणि महाराजा विक्रमादित्य से कैसे भेट स्वीकार ले, महाराजाने किमत देने के लिये प्रयास किया किन्तु शेठने इनकार किया, तब उन्होने मधुमती वगेरे बार गांव का भावड को अधिपति बनाया. वही मधुमती जो हाल सौराष्ट में महुवा के नाम से मशहुर है. __ समय का प्रवाह आगे बढा. भावड ओष्ठी के वहां पुत्र का जन्म हुवा, माभोम का एक अणमोल रत्न अपनी छाती से लगाने का अवसर मिला. भावडशाह के घर में पुत्रजन्म से आनंद की घटा छा गई. हर्ष की वर्षा बरसने लगी', विश्व के रंगमंच पे आया हुआ बालक का सत्कार किया गया. उस का नाम जावड रखा गया. जावड दिनों के साथ बड़ा होने लगा. बाल्यकाल से विद्या संपादन करने लगा. जब वह युवावस्था में आया उसी समय जैन शासन के सूर्य जैनाचार्य श्रीसिद्धसेनदिवाकरसूरीश्वरजी स्वर्गस्थ हुए. _आचार्यश्री की स्वर्गस्थ होने की व्यथा जैन भाईओं अनुभव रहे थे उसी समय कपर्दी यक्ष का निज परिवार के Sunratnasuri M. Jun Gun Aaradhak Trust

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