________________ 512 विक्रम चरित्र कर मार डाला. इसी तरह संसारमें मोह राजा नाटक भजवाता है. पली के कर से मृत पति को, देख नृपति मनमें जाना, नारी चरित कठिन है निश्चय, इस में पड कर पछताना. पत्नी द्वारा पति के मारे जाने पर महाराजा सोचने लगा, “अहो ! नारी चरित्र बडा ही दुर्घट है. अरे ! जिन के अंचल के पवन से रोग की वृद्धि है, उन के आलिंगन से मृत्यु हेने में आश्चर्य ही क्या ? .. . . .9 पानी में मछली की पद पंक्ति-पदचिहन मार्ग आकाश में भी पक्षी के पद चिह्न और महिला के हृदय का भाव ये तीनों ही मार्ग अगम्य है. कोई नहीं जान सकता हैं. + हल, स्त्री और पानी का स्वभाव एक सा है, तीनों ही उपर से नीचे की तरफ जाते है. कामातुर-पापी स्त्री अपने पति, पुत्र और स्वजन का नाश करती है, और क्रमशः खुद का भी नाश करती है." - रत्नम जरीने अपने मृत पति को चार पाई से नीचे रख दिया, और उस चोर से कहा, " अब तुम कृपा कर मुझे भाग सुख दो." चोर बेला, "आज मैं तुम्हारे साथ विषयसुख का सेवन नहीं करूंगा. अतः हे स्त्री ! आज तुम संतोष धारण + जलमज्झे मच्छपय आगासे पखिआण पयपंती; महिलाण हिअयमग्गो तिन्नि वि मग्गा अमग्गत्ति / / स. 11/10 07 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust