Book Title: Sambodhi 2002 Vol 25
Author(s): Jitendra B Shah, N M Kansara
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 20
________________ Vol. xxv, 2002 THE INFLUENCE OF VARIOUS DARŠANAS.... 26. रसः रसिकवर्ती । ...काव्यं न समादीनां रसोपजननाय कविभिः प्रवर्त्यते । अपि तु सहृदयानानन्दयितुम् । 27. N. S. VI 15, 16. 28. अभि. भा. p. 332 ff. 29. The philosophy of Vaisnava Religion (VI p. 34) Girinarayan Mallick. (चौखम्बा ) 30. कुमार. V. 31. उष्णत्वमग्न्यातपसम्प्रयोगात् शैत्यं हि यत्सा प्रकृतिर्जलस्य । V. 32. सौम्या खलु आपोऽन्तरीक्षप्रभवाः प्रकृतिशीता लध्व्यश्च अव्यक्तरसाश्च तास्त्वन्तरीक्षाद् भ्रश्यमानाः भ्रष्टाश्च पञ्चमहाभूतगुणसमन्विताः ...जंगमस्थावराणां भूतानां मूर्तीरभिप्राणयन्ति यासु मूर्तिषु षड्भिमूर्च्छन्ति रसाः। चरक संहिता Quoted by G. N. Mallick (p. 311) 33. The analogy of uscH is given by the saivas to illustrate the state of unity. 34. स्वं स्वं निमित्तमासाद्य शान्ताद्भावः प्रवर्तते । पुनर्निमित्तापाये तु शान्त एव प्रलीयते ॥ अभि. भा. (p. 340). 35. Cp. अमरुशतक V. 14 ed & 15 cd,. etc. 36. Indian Aesthetics (p. 40). 37. Cp. (ibid) p. 40. Also sec Dhvani Theory in Sanskrit Poetics (p. 157), M. M. Sharma. 38. अत्राह - रस इति कः पदार्थः । उच्यते आस्वाद्यत्वात् । N. S. (p. ) 39. इदं तावदयं प्रतीतिस्वरूपज्ञो मीमांसकः प्रष्टव्यः । किमत्र परचित्तवृत्तिमात्रप्रतिपत्तिरेव रसप्रतिपत्तिरभिमता ___ भवतः ? (लो. p. 155); and अत एव परकीया न चित्तवृत्तिर्गम्यते etc. (ibid) p. 156.. 40. अनुभावं ... प्रतीति योग्यः ... नर्तकेऽपि प्रतीयमानो रसः । K. P. IV. 41. अवलोक on D.R. IV 38. 42. अवस्थानुकृतिर्नाट्यम् । D. R. I. 7a; cp. सप्तद्वीपानुकरणं नाट्यमेतद्भविष्यति । N. S. I. 117. 43. मृतेति प्रेत्यसंगन्तुं यथा मे मरणं मतम् । ...प्राक् प्रीतिर्दर्शिता, सेयं रतिः शृंगारतां गता। K. D. II 280, 281 ab and 282.283 ab. 44. K. D. II 284 to 287 ab. 45. क्रीडनीयकमिच्छामो दृश्यं श्रव्यं च यद् भवेत् । N. S. I 11 cd. 46. रत्याद्यविनाभूतचेष्टादिप्रतिपादकशब्दश्रवादभिधेयाविनाभावेन लाक्षणिकी रत्यादि प्रतीतिः । धनिक's अवलोक (p. 96) on D. R. IV 37. 47. See K. P. II : अविनाभावोऽत्र सम्बन्धमात्रं न तु नान्तरीयकत्वम् । (p. 22) (Anandasrama Ed.) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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