Book Title: Sambodhi 2002 Vol 25
Author(s): Jitendra B Shah, N M Kansara
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 162
________________ 157 Vol. XXV, 2002 जैन दर्शन में निर्जरा तत्त्व ६५. "स्वाध्यायादिष्टदेवता संप्रयोगः।" - योगदर्शन 2/44. ६६. (क) भगवती 25/7. (ख) स्थानांग 5. ___ (ग) “वाचनापृच्छनानुप्रेक्षाम्नायधर्मोपदेशाः।" - तत्त्वार्थ सूत्र, 9/25. ६७. "ध्यानं तु विषये तस्मिन्नेकप्रत्ययसंततिः।" - अभिधान चिन्तामणि कोष 1/48. ६८. “चित्तस्सेमग्गया हवइ झाणं" आवश्यक नियुक्ति 1456. ६९. द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका 18/11. ७०. "अट्ट रुद्दाणि वजित्ता झाएजा सुसमाहिए ।. धम्म सुक्काई झाणाइं झाणं तं तु बुहावए ॥" ७१. तत्त्वानुशासन 74. ७२. "उत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोधो ध्यानमान्तमुहूर्तात् ।" -- तत्त्वार्थ सूत्र 9/27. ७३. "आर्त्तरौद्रधर्म्य शुक्लानि" - तत्त्वार्थ सूत्र, 9/28. ७४. “आर्त्तममनोज्ञस्य सम्प्रयोगे तद्विप्रयोगाय स्मृतिसमन्वाहारः । विपरीतं मनोज्ञस्य । वेदनायाश्च । निदानं च । तदविरत देशविरत प्रमत्त संयतानाम् ।” – तत्त्वार्थ सूत्र, 9/30-34. ७५. "हिंसाऽनृतस्तेयविषयसंरक्षणेभ्यो रौद्रमविरतदेशविरतयोः।" - तत्त्वार्थ सूत्र, 9/35. ७६. “आज्ञाऽपायविपाक संस्थानविचयाय धर्ममप्रमत्तसंयतस्य ।" -- तत्त्वार्थ सूत्र, 9/36. ७७. “निःसंग-निर्भयत्व जीविताशा व्युदासाद्यर्थो व्युत्सर्गः।" - तत्त्वार्थ राज वार्तिक, 9/26/10. ७८. "बाह्याभ्यन्तरोपध्योः।" - तत्त्वार्थ सूत्र, 9/26. ७९. भगवती सूत्र, 25/7. ८०. आवश्यक नियुक्ति, 1549. ८१. सो पुण काउस्सग्गो दव्वतो भावतो य भवति । ____दव्वतो कायचेट्ठा निरोहो भवतो काउस्सग्गो झाणं ॥ - आवश्यक चूर्णि । ८२. जैन धर्म में तप : स्वरूप और विश्लेषण, पृ० 523. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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