Book Title: Sambodhi 2002 Vol 25 Author(s): Jitendra B Shah, N M Kansara Publisher: L D Indology AhmedabadPage 19
________________ 4 P. R. VORA SAMBODHI NOTES 1. नाट्यवेदः कथं ब्रह्मनभ्युत्पन्नः कस्य वा कृते । N. S. I. 4. also see (ibid) I. 6, 7, 15 to 17 etc. 2. नाट्यशास्त्रं प्रवक्ष्यामि ब्रह्मणा यदुदाहृतम् । (ibid) I. 1, 7, 18. 3. जग्राह पाठ्यमृग्वेदात्सामभ्यो गीतमेव च । यजुर्वेदादभिनयान् रसानाथर्वणादपि (ibid) I, 17. .. 4. See Kane : Hist. of Alamkārasāstra (p. 49); Indian Aesthetics I. pp. 50, 80; Balribe साहित्य मीमांसा (मराठी) p. 123; काव्यप्रकाश - S. N. Ghosal Sastri (p. 90). 5-6. साहित्य मीमांसा (p. 123); का. प्र. S. N. Ghosal shastri (p. 90). 7. काव्य प्रकाश I. 1. ___8. असारे काव्यसंसारे Cp. कविरेकः (V/1 एव) प्रजापतिः । यथास्मै रोचते विश्वं तथेदं परिवर्तते ।। ध्वन्या० (p. 488). 9. अतश्च रसोऽयमलौकिकः । लोचन (p. 158). 10. तस्मात्सृजापरं वेदं पञ्चमं सार्ववर्णिकम् । N. S. I. 12. 11. काव्यालंकार V. 32, 33. . 12. काव्यादर्श III. 127. 13. वयं तु प्रकृतानुपयोगिश्रुतलवसन्दर्शनमिथ्याप्रयाससंश्रयम् अशिक्षितपूर्विणः etc. अभि.भा. (p. 294). 14. एवमयं पूर्णालुप्ताविभागो ..... शब्दशास्त्रव्युत्पत्तिप्रदर्शनमात्रप्रयोजनो नातीवालंकारशास्त्रे व्युत्पाद्यतामर्हति । चित्रमीमांसा चौखम्बा (1971) (p. 124). 15. अलंकारे गुणे दोषे रसे वा काव्यसम्पदाम् । प्रतीतिरेव विदूषां प्रमाणमवसीयते ॥ अलंकारशेखर (p. 23). 16. Introduction to the Study of Hindu doctrines (p. 230) – René Guénon. 17. Tripura Rahasya, for example uses the terms of Vedānta & Tantra but at times with different connotations - Shining Harvest (p. 16) - M. P. Pandit. 18. विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः । 19. See N. S. p. 288 ff. 20. रसनार्थो रसस्तस्य द्रव्यमापः । सूत्रस्थान 21. यदि वा नाट्यमेव रसाः। अभि. भा. (p. 270) 22. नाट्य एव च रसाः (ibid) (p. 290) 23. दृष्टस्तु तत्प्रत्ययो नटे भ्रमः । (अभि. भा. p. 264). 24. नटे तर्हि किम् ? आस्वादनोपायः । अत एव पात्रमुच्यते । न हि पात्रे मद्यास्वादः । (ibid) (p. 291). 25. The spectator is called a सहृदय or रसिक, one who is qualified to appreciate a poem or a drama. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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