Book Title: Sambodhi 1983 Vol 12
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 256
________________ १२ कृष्ण- कोडित चाली चंचल-लोचना चतुरिमा चायेंगी वृंदावनई चोरिंडं चित्त चतुर्भुज तब लगई थिउ मोह वंश ध्वनि ॥ ३९ 'वेग श्रीपति सामल हव मिलं जे पेश वाइ रमइ' वाली मारगि एकली ब्रज-वधू राति विदुरी- समइ । आवी प्रेम-रसाकुली प्रणयिनी संतप्त - काम- ज्वरिहं कीधु घूघट, मुरकलई मुहिं हसी, तेडी विसई श्री परिहं ॥४० मींची नेत्र हसी जि चुंबन मुखिई सांई जि बीधूं रही स्वामी जन्म- सहस्र - संचित हवई संताप फीड सही । पामि कान्हड कांम कोटि-सरीखु नारी घणी - सिउं वरिउ eaf देव दयालु मात्र मिलिउ गई लाज बांहि धारउ ॥ ४१ दीठी नारि अपारि रंगि रमती आवी किवार सवे गाइ गीत विनोदि लालसपणई आनंदि वलगी खवे । दीस दंत कि रत्न दाडिम-कली ते पक्व -बिंबाधरी भूई त्रस्त मृगी-तणी परि जोई गौरांगि क्षामोदरी ||४२ खलक कंकण चूडि चंचलपणई, बाली जि ताली वाई पाए नेउर, वूघरी घमघमई, ते ताल-मेलई गाइ' । वेणी-साट कटि प्रदेशि दलकई, लीलां फिर फूंमतां नाच नारि मुरारि हाथि वलगी, दीसई रूडां तां ॥४३ निद्रा तिजी. ३ क चंचल, वृंदावने, ग. चाली वेगि वृंदावन, ४. क. चतुर्भुज, लगइ ध्वनई, ख. ध्वनि, ग. तिहार लगि, वशि ४०. १. क. वेग, ग. श्रीधर. २. क. बिचहुरिं रातिं, ख. व्रजवहू, बिबुरी, गः न्रीि. ३. क. ज्वरइ. ४. क. मकलह मुखि, निहां श्रीधरई. ४१, १. क. हसी य, मुखई, साबय ३ ग शु रमु ४. क. दयाल मलिउ, वांहई, ख. मिल्यु. २. क. अपार, सानंद वाइ सवे ३. क. दंत यशा ज, ख. दाडिमकुली. ४. क. भुए, ख. भुई, ग. भीत त्रस्त, पिरि ४३. २. क. नेपुर. मेलि, ग. नेउरि, मेलि. ३. क. प्रदेश, लीला बिलइ, ख. कूमतां. ४. क. भेलां.

Loading...

Page Navigation
1 ... 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326