Book Title: Sambodhi 1983 Vol 12
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 276
________________ कवि पद्मसुन्दर की कृतियाँ प्रकाशित कृतियाँ : (१) अकबरशाही शंगारदर्गण (२) कुशलोपदेश (३) षड्माणसुन्दर (1) ज्ञानचन्द्रोदयनाटक अप्रकाशित कृतियां : (१) परमतव्यवच्छेदस्याद्वादसुन्दरद्वात्रिंशिका (२) राजप्रश्नीयनाट्यपदभजिका (३) षड्भाषागर्भितनेमिस्तव (४) वरमङ्गलिकास्तोत्र (५) भारतीस्तोत्र (६) पार्श्वनाथचरितमहाकाव्य (७) सारस्वतरूपमाला (८) हायनसुन्दर (९) सुन्दरप्रकशशब्दार्णण (१०) यदुसुन्दर महाकाव्य (११) रायमल्लाभ्युदय महाकाव्य (१२) जम्बूचरित्र (१३) प्रज्ञापनासूत्र की अवचूरि। 1. अप्रकाशित कृतियों में खिमारषिचउप, श्रीदत्तचोपाई, चतुःशरणप्रकीर्णकबाला. वबोध तथा भगवतीसूत्र स्तवक इन चारों ही कृतियों के कवि पद्मसुन्दर हैं पर वे अपने पद्मसुन्दर से भिन्न लगते हैं। 'खिमरिषिचउम' क्षमासागरसूरि के शिष्य पदमसुन्दर की कृति प्रतीत होती है। इन क्षमासागर का उल्लेख प्रज्ञापनासूत्र के लिपिकार की प्रशस्ति में आया है । ( देखिए आगे) । इसकी प्रति ला० द० विद्यामंदिर में है । इसका क्रमांक १२२२ है । इसका परिमाण २४.७४१०.९ सें. मी. है। इसके पत्रों की संख्या ६ है। इस प्रति का लेखनकाल १७ वीं शती का है । इसकी भाषा गुजराती है । 'श्रीदत्तचोपाई माणिक्यसुन्दर के शिष्य पदमसुन्दर की कृति प्रतीत होती है, जिन्हें कवि अपनी इस कृति में प्रणाम अर्पित करते हैं । यह कृति दो स्थानों पर दो भिन्न नामों से प्राप्य है । ला० द. विद्यामंदिर में उपस्थित इस प्रति का कमांक ८८३० है । इसका परिमाण २५.४५४११ से० मी० है । पत्रों की संख्या १६ है। इस प्रति का रचना संवत् १६२४ है । इसके अतिरिक्त देवशापाडा के जैन भडार, अहमदाबाद की सूची में यह कृति श्रीदत्तरास' के नाम

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