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आशीर्वाद
आचार्य कुन्द-कुन्द स्वामी विरचित 'समयसार' नाम ग्रन्थ है जो साक्षात जीवत्व और शुद्धोपयोग का दिग्दर्शन करता है उनके शब्दों के रहस्यों को आचार्य अमृतचन्द्र, आचार्य जयसेन के साथ साथ पण्डित जयचन्द्र छाबड़ा,पं.मोतीचन्द्र आदि ने उद्घाटित करने का पूर्ण प्रयत्न किया है। अपने अपने समय में सफल भी हुए हैं तथा अनेक भव्यों ने वोधि का लाभ भी प्राप्त किया है।
वर्तमान में आचार्य आदिसागर जी अंकलीकर के शिष्य आचार्य महावीर कीर्ति के शिष्य आचार्य विमलसागर जी के शिष्य गणाचार्य विराग सागर जी के शिष्य आचार्य विशुद्ध सागर जी हैं। उनके ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम बढ़ा हुआ है । अध्यात्म क्षेत्र में अच्छी पहुंच है साथ ही तद्रूप क्रिया है यह अधिक महत्वपूर्ण है। समयसार की वाचना में इसकी अच्छी व्याख्या की है वह महत्वपूर्ण है। इस ग्रन्थ के सरलीकरण से भव्य जीवों को ज्ञान ध्यान सुगमता से होगा तथा मोक्षमार्गी बनकर शुद्धात्म स्वरूप में परिणत होंगे।
अत: उनको मेरा शुभ आशीर्वाद है.....
आचार्य सन्मतिसागर
अनन्त चतुर्दशी २००६ इचल करंजी
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