Book Title: Saman suttam Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 23
________________ १. मङ्गलसूत्र १. णमो अरहंताणं। णमो सिद्धाणं । णमो आयरियाणं। णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं ॥१॥ २. एसो पंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं ॥२॥ ३-५. अरहंता मंगलं। सिद्धा मंगलं । साहू मंगलं। केवलिपण्णत्तो धम्मो मंगलं ॥३॥ अरहंता लोगुत्तमा। सिद्धा लोगुत्तमा। साहू लोगुत्तमा। केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो॥४॥ अरहंते सरणं पव्वज्जामि। सिद्धे सरणं पव्वज्जामि । साहू सरणं पव्वज्जामि। केवलिपण्णत्तं धम्म सरणं पव्वज्जामि ।।५।। झायहि पंच वि गुरवे, मंगलचउसरणलोयपरियरिए। णर-सुर-खेयर-महिए, आराहणणायगे वीरे॥६॥ समणसुत्त - भाग १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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