Book Title: Saman suttam Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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आसासो वीसासो, सीयघरसमो य होइ मा भाहि । अम्मापितिसमाणो, संघो सरणं तु सव्वेसिं ॥ ३ ॥
नाणस्स होइ भागी, थिरयरओ दंसणे चरिते य । धन्ना गुरुकुलवासं, आवकहाए न मुंचंति ॥ ४ ॥
जस्स गुरुम्मिन भत्ती, न य बहुमाणो न गउखं न भयं । न वि लज्जा न वि नेहो, गुरुकुलवासेण किं तस्स ? ॥ ५ ॥
कम्मरयजलोहविणिग्गयस्स, सुयरयणदीहनालस्स । पंचमहव्वयथिरकण्णियस्स, गुणकेसरालस्स ॥ ६ ॥ सावगजणमहुयरपरिवुडस्स, जिणसूरतेयबुद्धस्स । संघपउमस्स भर्छ, समणगणसहस्सपत्तस्स ।। ७ ।।
४. निरूपणसूत्र
जो पमाणणयेहिं, णिक्खेवेणं णिरिक्खदे अत्थं । तस्साजुत्तं जुत्तं, जुत्तमजुत्तं च पडिहादि ॥ १ ॥
गाणं होदि पमाणं, णओ वि णादुस्स हिदयभावत्थो । णिक्खेओ वि उवाओ, जुत्तीए अत्थपडिगहणं ॥ २ ॥
णिच्छयववहारणया, मूलभेया णयाण सव्वाणं । णिच्छयसाहणहेउं, पज्जयदव्वत्थियं मुणह ॥ ३ ॥
समणसुत्त भाग १
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