Book Title: Samacharishatakama
Author(s): Samaysundar,
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar
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सामाचा
रीशत
कम् ।
॥ १६९ ॥
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वा अह अट्टमी उद्दिट्ठा पुन्निमासिणी वा तो देवसिअं, अह भद्दवय सुद्धचउत्थीतो संवच्छरिअं पडिक्कमणसामायारीए | पडिक्कमिअ साहुविस्सामणं कुणइ, तओ सज्झायं ताव करेइ जाव पोरसी उवरिं जइ समाहीतो लहुअसरेणं कुणइ जहा खुद्दजंतुणो न उठति, तओ आसञ्जभणणपुरओ भूमिपमज्जणाइ विहिय सरीरचिंतो, खमासमणदुगेण मुहपोत्तिं पडिलेहिय खमासमणेण राईयं संधारयं संदिसाविअ वीअ खमासमणेण राईसंथारए ठाएमित्ति भणिय सक्कत्थयं भणइ । तओ संधारयं उत्तरयं - उत्तरपटं च जाणुगोवरिं मीलुत्तु पमजिअ भूमिए पत्थरेई, तओ सरीरं पमजिअ निसीहि नमो खमासमणाणं ति भणिय संथारए ठविय नमुक्कारतिगं सामाइयं च उच्चारिय अणुजाणह परमगुरु इच्चाई गाहाओ भणिऊण वामबाहूवहाणो निद्दामुखं करेइ । जइ उच्चत्तर तओ सरीरसंधारए पमज्जिअ अह सरिरचिंताए उट्ठइ तो | सरीरचिंतं काऊण इरियं पडिक्कमिअ जहण्णेण वि गाहातिगं गुणिअ सुयइ सुत्तो वि जाव न निद्दा एति ताव धम्मजागरिअं जागरंतो थूलभद्दाइ महरिसिचरिआई परिभावेइ । तओ पच्छिमरयणीए उट्ठिअ इरियावहियं पडिकमिअ कुसुमिण| दुसुमिणका उस्सग्गं सयउस्सासं, मेहुण सुमिणा अड्डत्तर सयउस्सासं करिय, सक्कत्थयं भणिय पुत्तविहिए सामाइयं काउं सज्झायं संदिसाविअ ताव करेइ जाव पडिक्कमणवेला । तओ विहिणा पडिक्कमिअ जायाए पडिलेहणाए पुषविहिणा ४ ॥ १६९ ॥ काऊणं पडिलेहणं जहन्नओ वि मुहुत्तमित्तं सज्झायं करिय । पोसहपारणट्ठी खमासमणदुगेण मुहपोत्तिं पडिलेहिय खमासमणपुत्रं भणइ, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पोसहं पारावेह, गुरु भणइ 'पुणो वि कायबो', बीअखमासमणेण पोसहं
पौषधग्रहणाधिकारः
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