Book Title: Sadhwachar ke Sutra
Author(s): Rajnishkumarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 134
________________ गोचरी प्रकरण ११७ प्रश्न ६. मुनि कौन से सूत्र का पारायण किये बिना स्वतंत्र गोचरी नहीं कर - सकता? उत्तर-दशवैकालिक सूत्र अथवा परंपरा की जोड़ का अध्ययन किये बिना स्वतंत्र गोचरी नहीं कर सकता। प्रश्न ६. साधु गोचरी के लिए कितनी दूर जा सकते हैं? उत्तर-अर्ध-योजन (दो कोस) तक जा सकते हैं एवं गोचरी करके लाया हुआ आहार आदि दो कोस तक ले जा सकते हैं। यदि भूल से आगे ले जाया जाए तो खाना-पीना नहीं कल्पता। प्रश्न १०. गोचरी के बाद बना हुआ आहार साधु ले सकते हैं या नहीं? उत्तर-नहीं ले सकते। प्रश्न ११. गोचरी करने के बाद बनी हुई वस्तु दिन भर नहीं ली जा सकती या कुछ समय तक? उत्तर-इसका नियम प्रहर के आधार पर है। दिन के चार प्रहर होते हैं। उनमें तीन प्रहर का एक कल्प है एवं चौथे प्रहर का दूसरा कल्प। गोचरी करने के बाद आरंभ करके बनाई वस्तु परम्परा के अनुसार तीन प्रहर दिन व्यतीत हो वहां तक नहीं ली जा सकती। चौथे प्रहर में ली जा सकती है। प्रश्न १२. क्या साधु रात को कोई भी चीज नहीं ले सकते? उत्तर-पीठ-फलक शय्या-संस्तारक आदि यतनापूर्वक ले सकते हैं किन्तु आहार आदि बिल्कुल नहीं ले सकते । आगमों में कहा है कि निःसंदेह सूर्य उदय हआ या न छिपा जानकर साधु ने गोचरी की एवं आहार करना शुरू किया उस समय सूर्य उदय न होने की या छिप जाने की शंका पड़ जाए अर्थात् गोचरी करते समय शायद रात थी ऐसा सन्देह हो जाए तो उस आहार को (चाहे मुख में लिया हुआ ग्रास भी क्यों न हो) खाना नहीं कल्पता, परठना ही पड़ता है। प्रश्न १३. क्या गोचरी के लिए गया हुआ साधु गृहस्थ के घर बैठ सकता है ? उत्तर-गोचरी के लिए गया हुआ मुनि (विशेष कारण तपस्या, अनशन, बीमारी आदि के सिवा) गृहस्थ के घर में न बैठे और न खड़ा रहकर धर्मकथा - कहे। १. उत्तरा. २६/३५ २. निशीथ १२/३२ ३. बृहत्कल्प १/४२ ४. बृहत्कल्प ५/६ से ८ ५. दसवे. ५/२/८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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