Book Title: Sadhwachar ke Sutra
Author(s): Rajnishkumarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 167
________________ १५० साध्वाचार के सूत्र प्रश्न १२. साधु-साध्वियों को नमस्कार करने के लिए क्या बोलना चाहिए? उत्तर-'मत्थएण वंदामि'-ऐसा बोलना चाहिए, मत्थेण वंदामी का तात्पर्य है। मैं मस्तक झुकाकर वन्दना करता हूं इसी प्रकार आचार्य युवाचार्य हो तो मत्थेण वंदामी भी बोले साथ में वन्दे गुरुवरम्, वन्दे आचार्यवरम्, वन्दे युवाचार्यवरम्। प्रश्न १४. जैन परम्परा में वंदना की विधि क्या है? उत्तर-जैन संस्कृति में पंचांग नमाकर वंदन करने की विधि है।' प्रश्न १५. पंचांग कौन-कौन से हैं ? उत्तर-दो हाथ, दो पैर और एक सिर-ये शरीर के पाचं अंग हैं। वंदन मुद्रा में दोनों हाथ जोड़कर सिर को भूमि का स्पर्श करते हुए वंदन करना चाहिए। प्रश्न १६. प्रत्युत्तर में साधु क्या कहते हैं ? उत्तर-जे भाई। मूल शब्द जिय वर्तमान में उसका अपभ्रंश हो गया जे। प्रश्न १७. जे का क्या अर्थ है ? उत्तर-जेय का मूल शब्द 'जिय' है। यह रायपसेणिय सूत्र में आया है। 'जिय' शब्द जीत व्यवहार का प्रतीक है। जीत का अर्थ है तुम्हारा कर्त्तव्य । कालान्तर में जिय से जेय शब्द व्यवहत हो गया। प्रश्न १८. "सिंघाड़ा' शब्द का अर्थ क्या है ? उत्तर-साधु या साध्वियों के ग्रुप (समूह) को सिंघाड़ा कहते हैं। उसके मुखिया को सिंघाड़पति (अग्रणी) कहते हैं। प्रश्न १६. सिंघाड़ा में कम से कम कितने साधु-साध्वियां होने आवश्यक होते हैं? उत्तर-कम से कम दो साधु और कम से कम तीन साध्वियां होती हैं। इससे अधिक भी रहते हैं। उनकी सीमा निश्चित नहीं है। प्रश्न २०. ठाणा शब्द का क्या अर्थ है ? उत्तर-ठाणा शब्द साधु साध्वियों का संख्यावाचक शब्द है। साधु साध्वियों के छह ठाणे है इसका अर्थ हुआ-छह साधु अथवा छह साध्वियां हैं। १. शीघ्र बोध भाग ३ पृष्ठ १८२ के आधार पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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