Book Title: Sadhwachar ke Sutra
Author(s): Rajnishkumarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 182
________________ २५. प्रातिहारिक प्रकरण प्रश्न १. भोजन-पानी, वस्त्र, दवा आदि वस्तुएं साधु गृहस्थ के पास से बहरते है। जो बहरते हैं वह सब रख लेते हैं या वापस भी दे सकते हैं? उत्तर–पाडिहारिय कहकर जो वस्तु लेता है, वह वापस भी दे सकता है।' प्रश्न २. पाडिहारिय किसे कहते हैं? उत्तर-यह जैन धर्म (संस्कृति) का पारिभाषिक शब्द है। साधु वस्तु लेते समय पाडिहारिय शब्द कहकर लेता है। उसका अर्थ है-जितनी आवश्यकता होगी उतनी लूंगा शेष वापस दे सकता हूं। प्रश्न ३. साधु कौन-सी वस्तुएं पाडिहारिय रूप में ले सकता है? उत्तर-खाने-पीने की वस्तुओं को छोड़कर वस्त्र, दवा, घास, कागज, कॉपियां, पेंसिल, मकान आदि सब पाडिहारिय होती हैं। आवश्यकता अनुसार पास में रखता है, आवश्यकता न हो तो वापस दे सकता है। प्रश्न ४. जिस दिन पाडिहारिय वस्त्र जांचते है उसी दिन वह वापस देते है या दूसरे दिन भी वापस दे सकते है ? उत्तर-जिस दिन वस्त्र जांचते है उसे सूर्यास्त से पहले-पहले गृहस्थ को वापस देना होता है। यदि रात भर वह साधु के पास रह जाए तो दूसरे दिन वापस नहीं दे सकता। प्रश्न ५. पाडिहारिय वस्तु साधु जांचता है वह उसी व्यक्ति को वापस देता है या दूसरे व्यक्ति को संभला (दे) सकता है ? उत्तर-जिसकी वस्तु हो उसी को देना चाहिए। वह यदि कह दे कि आप अन्य किसी को संभला दें तो वह वस्तु दूसरे को भी दी जा सकती है। प्रयन ६. क्या साधु छपी हुई पुस्तकें, चश्में, पेंसिल आदि वापिस दे सकता १. स्थानांग ५/२/१०२ टि. ६६ २. स्थानां ५/२/१०२ टि. ६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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