Book Title: Sadhwachar ke Sutra
Author(s): Rajnishkumarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 140
________________ गोचरी प्रकरण १२३ पानी या खाना तीन प्रहर दिन तक नहीं लिया जा सकता। चौथी प्रहर यानी शाम को लिया जा सकता हैं। परन्तु पानी पंचमी, धोने आदि के लिए ले सकते हैं। प्रश्न ४१. पूर्वकर्म दोष किसे कहते हैं? उत्तर-साधु को बहराने के निमित्त मुनि के पधारने से पहले यदि कोई आरंभ सम्भारंभ किया जाए अथवा हो जाए उसे पूर्व कर्म दोष कहते है, जैसे-गोचरी बहराने के निमित्त से कच्चे पानी से हाथ धोना आदि। प्रश्न ४२. पश्चात् कर्म दोष किसे कहते हैं ? उत्तर-गोचरी बहराने के बाद कच्चे पानी से हाथ धोना, बरतन आदि धोना, बहराने के कारण खाना कम पड़ जाये तो फिर से बनाना आदि सब प्रकार की हिंसा पश्चात् कर्म-दोष में आती है।२ प्रश्न ४३. क्या साधु अपनी वस्तु गृहस्थ को दे सकते हैं? उत्तर-नहीं दे सकते। शास्त्र में कहा है कि जो साधु अपना आहार-पानी- खादिम-स्वादिम-वस्त्र-पात्र-कम्बल एवं रजोहरण गृहस्थ को देता है, उसे प्रायश्चित्त आता है। प्रश्न ४४. पहले दिन का मक्खन साधु को दूसरे दिन बहराया जा सकता उत्तर-नहीं क्योंकि उसमें जीव उत्पन्न होने की संभावना होती है। प्रश्न ४५. कौन-सा मक्खन साधु-साध्वी दूसरे दिन भी ले सकते है ? उत्तर-मक्खन छाछ आदि में डूबा हुआ, फ्रिज में रखा हुआ या बाजार का मक्खन जिसमें नमक वगैरह मिला होता है वह बहर सकते हैं। प्रश्न ४६. क्या साधु पर्युषण (संवत्सरी) के दिन आहार कर सकते हैं? उत्तर-किंचिन्मात्र भी आहार नहीं कर सकते। करने से प्रायश्चित्त आता है। प्रश्न ४७. शुद्ध साधु को सूझता आहार पानी, वस्त्र, बाजोट, दवाई, मकान आदि-आदि वस्तुएं देने से क्या लाभ होता है ? उत्तर-साधु-साध्वियों को निर्दोष दान देने से श्रावक के बारहवां व्रत होता है। उस तीन लाभ होते हैं१. संवर-जितनी वस्तु आहार, पानी, वस्त्र आदि दाता साधु-साध्वियों को बहरा देता है उतना व्रत संवर होता है। उस वस्तु के उपयोग करने से १. दसवे. ५/१/३२ २. दसवे. ५/१/३५ ३. दसवे. ३/६ ४. निशीथ १०/३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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