Book Title: Sadhwachar ke Sutra
Author(s): Rajnishkumarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 137
________________ १२० साध्वाचार के सूत्र प्रश्न २५. साधु का आहार करना सावध है या निरवद्य? उत्तर-भगवती १/९ के अनुसार प्रासुक-निर्दोष आहार करता हुआ साधु सात आठ कर्मों के बंधनों को शिथिल करता है अतः उनका आहार करना निरवद्य एवं संयम को पुष्ट करने वाला है। क्योंकि वे शरीर के द्वारा ज्ञानदर्शन-चारित्र का परिवहन करने के लिए एवं मोक्ष-प्राप्ति के लिए ही खाते हैं, न कि शरीर के लिए। प्रश्न २६. दिन में भिक्षा करके लाया हुआ आहार साधु कब तक रख सकते हैं? उत्तर-दूसरे प्रहर में लाया हुआ भोजन तो दिन भर रख सकते है। किन्तु प्रथम प्रहर में लाया हुआ भोजन चौथे प्रहर में नहीं रख सकते। अगर भूल से रह जाए तो उसे खाना-पीना नहीं कल्पता।' औषधि के विषय में यह विधान है कि गाढागाढ (विशेष) कारणवश प्रथम प्रहर में लाई हुई औषधि चौथे प्रहर में खाई एवं लगाई जा सकती है, साधारण कारण में नहीं। इसीलिए दूसरे प्रहर में औषधियों की पुनः आज्ञा लेने की परम्परा है। प्रश्न २७. क्या मुनि गोचरी करके लाई वस्तु गृहस्थ को वापस दे सकता उत्तर-आहार आदि गृहस्थ को वापस नहीं दिया जा सकता लेकिन औषधि के रूप में जो चूर्ण-गोली-मरहम-इन्जेक्शन आदि चीजें ली जाती हैं, वे आवश्यकतानुसार काम में लेकर शेष वापस दी जा सकती हैं। यदि असावधानी पूर्वक पात्र में कोई सचित्त वस्तु आ जाये तो उसे वापस देने की परम्परा है। सचित्त-अचित्त के साथ मिल जाये तो उसे खाना नहीं कल्पता, परठना पड़ता है। प्रातिहारिक वस्त्र-पात्र यदि काम में न लिए जाएं तो उसी दिन भुलाए जा सकते हैं। शय्या-संथारा, पाट-बाजोट, सूईकैंची-चाकू आदि शस्त्र, खरल-मूसल एवं पेन-पेंसिल आदि जो भी संयमसाधना में उपकारी हैं, वे सभी वस्तुएं काम में लेकर वापस दी जा सकती हैं। प्रश्न २८. साधु गृहस्थ के घर में गोचरी कैसे जाएं? उत्तर-संकेत या सूचना करके जाएं। साधु सीधा गृहस्थ के घर गोचरी न जाएं। प्रश्न २६. क्या साधु वर्षा में गोचरी एवं शौच जा सकते हैं ? उत्तर-वर्षा में साधु शौच जा सकते हैं, गोचरी नहीं। १. बृहत्कल्प भाग-२, ४/१२-१३ ३. दसवे. ५/१/८ २. आचा. श्रु. २ अ. १ उ. ५/५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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