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पोके शिरपरसे कभी नहीं होती है, वो उन्होंको खूब शोचनेकी जरुरत है. माबापाकी कसूरसे लडके मूख प्रायः रहनस उन्हाका हा एक शल्यरूप होते है. और उन्हीकी पवित्र खंतसे बालक व्यवहार
और धर्म कर्ममे निपूण होनेके सबसे उभय लोको सुखी होनेसे उन्होको भवोमवमें शुभाशिर्वाद देते है. परंपरासे अनेक जीवोंक हितका होते है. और वै श्रेष्ठ मावापोंके दर्जकी खुदकी फर्ज अपन बालबच्चे या संबंधीयोंकी तर्फ अदा करनमें नहीं चूकते है. हमेशा सज्जन वर्गमें अपने सद्विचार फैलाने के वास्त यत्न करते है, और पारमार्थिक कार्योंमें अवल दर्जेका काम उठाकर दूसरे योग्य जीवोंको भी अपने अपने योग्य करनेकी प्रेरणा करते है. ये सब फायदे मावापोंके उत्तम शिक्षण और उत्तम चाल चलनपर आधार रखनेवाले होनेसे अपन इच्छंगे कि भविष्यमें होनेवाली अपनी आल औलादका भला चाहनेवाले मावाप आप खुद उत्तम शिक्षण प्राप्त कर, उत्तम चालचलन रखकर अपने बाल बच्चांके अंत:करणको शुभ धन्यवाद मिलानेको भाग्यशाली होवेंगे. ( अस्तु ! ).
* बोधकारक दृष्टांतोका संग्रह
* *** * * * ** **ar -थायमें अन्याय करने पर शेठकी पुत्रीका दृष्टांत
एक धनवान शेत था. वह शेठाईकी वढाई एवं आदर बहुमानका विशेष अर्थी होनेसे सबकी पंचायतमें आगेवानके तोरपर हिस्सा लेता था. उसकी पुत्री बडी चतुरा थी. वह वारंवार पिताको समझाती कि पिताजी अब आप वृद्ध हुए, बहुत यश कमाया अब तो यह सब प्रपंच छोडो. शेठ कहता है कि, नहीं. मै किसीका