Book Title: Sadbodh Sangraha Part 01
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Porwal and Company

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Page 137
________________ यश, कीर्ति, महत्त्व परभवमा सद्गति, शाश्वत सुख मळे छ तिर्यंचो पण सहायभू नारने तेनो सगो भाई प्रवृत्त थयेला रावणने तंजातनो बंधु बिभीषण चाल्यो गयो हतो अने तेणे न्याय मार्गमा प्रवृत्त एवा रामचंद्रजीनो पक्ष ( आश्रय) लीधो हतो. कोइ पण राजा न्यावंत, धर्मात्मा होय छे त्यारे तेनु " रामराज्य" कवाय छे. प्रश्न १४ सात विकथाओ सांभळवामां आवे छे ते का? उत्तर-- १ स्त्रीकथा, २ भक्तकथा, ३ देशकथा, ४ राजकथा, ५ मृदुकारुणिका कथा, ६ दर्शन भेदिनी कथा. अने ७ चारित्र मेदिनी कथा आ सात विकथाओ जाणवी. __ प्रश्न १५ पाक्षिक, चउमासी, अने संवच्छरी प्रतिक्रमणमा क्याथी आरंभीने क्या सुधी छींकने वर्जवी ? उत्तर चैत्यवंदनथी आरंभी शाति सुधी छीक वर्जवी. एम परंपरा छे, (सेन प्रश्न २१) प्रश्न १६ संध्यार्नु प्रतिक्रमण कर्या पछी श्रावक देरासर दर्शन , करपा जइ सके ? उत्तर--- जइ सके. उपाश्रयमा गुरुमहाराज समक्ष प्रतिक्रमण कार्य होय तो प्रतिक्रमण करी गुरु महाराजनी वैयावच्च करी गामना देरासरमा दर्शन करी पोताना घरे जाय: ( आचारोपदेश ग्रंथ पांचमां वर्गमां श्लोक ९ तथा १०) प्रश्न १७ ज्ञाननी वृद्धि करनारा नक्षत्रो क्या ? उत्तर-- १ मृगशिर, २ पुप्य, ३ आर्द्रा, ४ पूर्वा फाल्गुनी,

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