Book Title: Sadbodh Sangraha Part 01
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Porwal and Company

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Page 142
________________ एटलो, कलदार कुल मुखतारारे ॥ एक० ५ ॥ कलदार गाडी कलदार पाडी, कलंदार होटल सारा | कलदार खुरसी कलदार गादी, कलदार बैठनहारारे ॥ एक० ६॥ कटदार विद्या कलदार हुन्नर, __ कलदार खिजमतगारा ॥ कलदार सूरत कलदार बुद्धि, कलदार बोल नवारारे ॥ एक० ७ ॥ कलदार बेटा कलदार बायु, कलदार भाई प्यारा ॥ फलदार मामा कलदार'काका, कलदार साला सारारे।। एक० ८ ॥ कलदार बाबू कलदार राजा, कलदार सेठ साहुकारा ॥ कलदार बत्ती कलदार दीवा, कलदार विन अंधारारे ॥ एक० ९ ॥ कलदार दौलत कलदार औरत, कलदार वस जग सारा || कलदार कलदार कलदार कलदार, कलदार जग जयकारारे ॥ एक० १०॥ वसमें नहिं कलदारके साधु, आतम लक्ष्मी आधारा ॥ कलदार विन मुनि वल्लभ जगको, हर्ष अनुपम धारारे ॥ एक० ॥ ११ ॥ (इति) । परनारीका त्याग करनेपर पद. दोहा- पाप मत करो प्राणीया, पाप तणा फल एह ॥ पापके कारण जाणजो, अग्नि में भूजे देह ॥ १॥ परनारी पयनी बुरी, तान ठाडस खाय ।। धन व जोबन घटे, पत पंचोमें जाय ॥२॥परनारीके कारणे, राजा रावण जाण ॥ तीन खंडको साहीबो, नर्क योनीमें जाय ॥ ३ ॥ इस कारण तुं देखले, नर्क दुःख अण पार ॥ वाक हमारा है नहीं, अब क्यौं रोवे गिवार ॥ ४ ॥ परनारीको देखकर, मनमें __ अति हरखाय ।। इसी पापक कारणे, नवंस उसको जाय ॥ ५ ॥ चाथा नरक जो मोगवे, राजा रावण जाण ॥ परनारके कारणे, तज्यो आफ्नो प्राण ॥ ६ ॥ (इति), (मेरे भोला बुलालो मदीने मुझे-एं चाल) ॥ पर नारीसे प्रति लगावो मती. धन योवन विरथा गमावो मती॥ पर० (अंचली) परनारीके प्रसंगसे. रावनकी क्या हालत भइ॥ .

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