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राजनीयसूत्रे
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यावत् सर्वोपधिसिद्धार्थांध सरसगोशीप चन्दनं च दिव्यं च सुमनोदाम दर्दर सुगन्धिकांथ गन्धान गृहन्ति, गृहीत्वा एकतो मिलन्ति, मिलित्वा तया उत्कृष्टया यावद् यत्र सौधर्मः कल्पो यत्रैव सूर्याभं विमान यंत्र अभि कसभा यत्र सूर्याभो देवस्तत्र उपागच्छन्ति, उपागत्य सूर्याभं देवं कर afrat को और सिद्धार्थकों को लिया तथा गोशीर्ष चन्दन एवं पुष्पों की मालाओं को लिया दर्दर, मलय, एवं सुगंधित गंधों को लिया. (गिन्हित्ताजेणेव पंडगवणे तेणेत्र उवागच्छति, उवागच्छिता सन्चत्यरे जाव सत्रोसहिसिद्धस्थय सरसगोसीस चंदणं च दिव्वं च सुवष्णदामं दद्दरमलय सुगंधिए य गंधे गिति) इन सब को लेकर फिर वे जहां पाण्डुकवन था वहां पर आये. वहां आकर उन्होंने वहां से भी समस्त ऋतुओं के सुन्दर पुष्पों को, यावत् सर्वोपधियों को, सिद्धार्थकों को एवं सरम गोशीपचन्दन तथा दिव्य सुमनोदाम, दर्दर, मलय एवं मृगंधित गंधद्रयों को लिया. (गिण्डिता एगयओ मिलायंति मिलाइत्ता ताए उकिट्ठाए जात्र जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सरियाभे विमाणे जेणेव अभिसेयसभा जेणेत्र सूरिया देवे तेणेव उवागच्छति ) इन सब को लेकर फिर उन्होंने आपस में इन्हें मिलाया - मिलाकर फिर वे उस उत्कृष्ट देवगति से वहां चलकर जहां सौधर्मकल्प था और जहां सूर्याभविमान था, तथा उसमें भी जहां अभिषेक सभा थी एवं जहां वह सूर्याभदेव था वहां पर आये (उवाग
ચકાને લીધા તેમજ ગાશી ચંદનને, અને પુષ્પાની માળાઓને લઈને દર્દ, મલય शाने सुग ंधित गंधाने सीधा. (गिन्हित्ता जेणेव पंडगवणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छिता सव्वतूरे जात्र सन्चोसहिसिद्धत्थए य सरसगोसीसचंदणंच दिव्वं च सुवण्णदामं दद्दरमलयसुगंधिए य गंधे गिण्डति) या मधी वस्तुओ લઈને તેઓ જયાં પાંડુન હતું ત્યાં ગયા, ત્યાં પહેાંચીને તેમણે ત્યાંથી પણ સ ઋતુઓનાં સુન્દર પુષ્પાને યાવત્ સર્વોષધિને, સિદ્ધાકાને અને સરસ ગોશીચંદન તેમજ દિવ્ય સુમનેાદામ, ઈર; મલય અને સુગંધિત ગધદ્રવ્યાને લીધાં. (गिण्डित्ता एगयओ मिलायत, मिलाइता, ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेब सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव अभिसेयसभा जेणेव सूरिया भे देवे तेणेत्र उवागच्छति सा प्रभाशे अधी वस्तुमाने सर्धने तेोये अधी વસ્તુઓનું મિશ્રણ કર્યું' અને ત્યારપછી તેઓ પેાતાની ઉત્કૃષ્ટ દેવગતિથી જયાં સૌધર્મે કલ્પ હતા, અને જયાં સૂર્યવિમાન હતુ.તેમજ તેમાં પણ જયાં અભિષેક સભા हती गाने भ्यां सूर्यामहेव हता त्यां गया. ( उनागच्छित्ता सूरिया देव कर