Book Title: Rajprashniya Sutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 627
________________ सुबोधिनी टीका सू. ९० सूर्याभदेवस्य गन्धादिधारण वर्णनम् ६१३ कुंडलाई चूडामणि मांडं पिणद्देइ, दि इत्ता गथिम-वेदिस-पूरिससंघाइभेण बउविहेण मलणं कंप्परुख चिव अप्पाणं अलंकिय विभूसियं करेइ, करितो ददरमलयसुगंधगंधिएहिं गायाइ भुखंडेय, दिव्यं च सुमणदास पिणछइ ॥सू. ९० ॥ छाया-ततःग्वा तस्य मूर्याभस्य देवस्य सामानिकपरिपदुषपन्नका अलङ्कारिकमाण्डम् उप थापयन्ति । ततःखलु स सूर्या गो देवस्तत्पथमतया पक्षमलसुकुमारगा सुरक्ष्या गन्ध काषाय्या एकया शाटया गात्राणि रुक्षयति, रूायित्वा मार लेन गोशीपचन्दनेन गात्राणि अनुलिपति, अनुलिप्य नासानिःश्वासातवाहयं चक्षुहर वर्ण स्पर्श युक्त हयलालापैलवालिक धवल 'तएण तस्स सरिया भल्ल, देवल्स' इत्यादि । सूत्रार्थ--(तएण) इसके बाद (तस्ल सरियामरस देवस्स सामाणिय परिसोरचन्नगा) उस भिदेव के नामानिक परिषदुपपन्नक देवोंने (अलंकारियमंड उचढति) अलंकारिक भाण्डको आमरण करण्डको को उपस्थित किया. (तएणं से सरियाये देवे तपढनयाए पम्हलनमालाए सुरभीए गंधकासाईए एजाए र सीप यादइ) इसके बाद रस निदेखने सर्वप्रथम रोमयुत, मुकोमल बस्वस्त्र विशेष से शरीर को पोंछा. यह बडखड सुंगध से युक्त था. तथा गध प्रधान कपायरंग से रंगी हुई थी. (हित्ता सरसेण गोसीसचदाणेण गाशाई अणुलिपड) शरीर को पोछने के बाद फिर उसने सरस गोशीर्षचन्दन से शरीर को अनुलिस-चर्चित किया, (अणुलिंपित्ता नासानीसालवायदोज्झ चक्खुहरं चन्नफरिसजुत्तं हयलालपेलवातिरेग धवल कणग "तए ण तस्स मुरियामरस देवस्स" इत्यादि । सूत्राथ:-(तएणं) त्या२ पछी (तस्हाण यूरियाभल्स देवस्स सामाणियपरिसीवनगा) ते स्यामवना सामानि परिष९५५-न४ हेवाये (यल कारियभड उहवे ति) PAER: Hisiने माम२६५ ४२ आने 6पास्थित यो. ले मरिया देवे तपढमयाए पम्हलममालाए सुरभीए गधकासाईए एगाए साडीए गायाई लूह) त्या२ ५छी सूर्यालवे सौ पद शमयुत, सुभाष વસ્ત્રના કકડાથી શરીર લૂછયું. આ વસ્ત્રખંડ સુગંધ યુકત તેમજ ગધ પ્રધાન કપાય २ गयी गयो डतो. (लहिता सरसेण गोसीलचंदणेण गायाई अणुलिंपइ) શરીર લૂછ્યા બાદ તેણે સરસ ગશીર્ષ ચન્દનથી શરીરને અનુલિત-ચર્ચિત કર્યું. ... (अणुलिंपित्ता नासानीसासवायवोझं चक्षुहर बन्नफरिसजुत्त हयलाल

Loading...

Page Navigation
1 ... 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721