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भारतमें उडिया-आरिस्सा प्रांतमें महापात्रका अपभ्रंश महाराणा जातिका शिल्पिवर्ग आज भी विद्यमान है, उनके पास भी शिल्प ग्रंथोका संग्रह ठीक प्रमाणमें है। पुरी और भुवनेश्वर के अनेक मंदिरांका निर्माण उनके पूर्वजोंने किया था । भुवनेश्वरमें उनके दो परिवार (कुटुम्ब) है। जगन्नाथपुरी में बीस परिवार (कुटुम्ब) है और याज पुर में दो बसते हैं ।
द्रविड के शिल्पि विश्वकर्माके वंशज-ब्राह्मणकुल के होनेका दावा करते हैं। उनमें से की सिलोनमें बसते हैं । कुंभकोणम् के पास शिल्पिओंका अंक छोटासा गांव बसा है। वे धातुकी मूर्तिकलामें प्रवीण हैं।
म्हैसुर प्रदेशमें कर्णाटकमें शिल्पि वर्ग बसनेका सुना है। हलशाल राज्य कालने बँधाये हुओ हलीबड, बेलुर और सोमनाथपुरम् के मंदिरोंकी सर्वोत्तम आश्चर्यकारक कृतियाँ अिनके पूर्वजोंकी बनाी हुी है । १११७ ईसवीमें डंकनाचार्य नाम के प्रसिद्ध शिल्पि हो गये । उस काल के अन्य शिल्पियोंके नाम-मलितम्मा, बालेया, चंदेया, यामया, भर्मया, नानज्या, पालमसिया इत्यादि के नाम उपरोक्त मंदिरेमें पाषाण पर खुदवाये मिलते हैं । कर्णाटककी शिल्पशैली वेसर या विराट जातिकी द्रविडसे उत्तरमें होती ।
___ जयपुर और अल्वर की तर्फ के प्रदेशों में गौड ब्राह्मण जाति के शिल्पि प्रासाद शिल्पि की बनिस्बत प्रतिमा विधानके व्यवसाय में प्रवीण है। उत्तर प्रदेशके कितने भागोंमें “जांगड" नामकी जाति है जो अपनेको शिल्पिवर्ग में खपाती है। वे काष्ठकाम, सादा पाषाणकार्य, चित्रकाम, कृषि, और लोहेका काम भी करते हैं । विश्वकर्माको अपना इष्टदेव मानते हैं।
गुजरात और मेवाडमें वैश्य, मेवाडा, गुर्जर और पंचाल ये चारों शिल्पिवर्गकी ज्ञातियाँ हैं । वे दावा करते हैं कि हम विश्वकर्माके पुत्र हैं । वैश्य, मेवाडा, और गुर्जर काष्ठकर्म करते हैं । और पांचाल लोहकार्य में कुशल है।
भारतके की प्रांतोंमें धर्माधता और धर्मभ्रष्टता से धर्म परिवर्तन के कारण कुल परंपरा के व्यवसाय वाला शिल्पिवर्ग नष्ट हो गया हो असा लगता है। शिल्पकार्य में आजीविका की अभाव महसूस होने से वे अन्य व्यवसायमें जुटे हों। वास्तुशास्त्र के ग्रंथांका साहित्य
वास्तुविद्या, ज्योतिष, गणित, भूमिति इत्यादि शास्त्रोंका प्रादुर्भाव, भारतमें ही हुआ है । ये शास्त्र अरब और ग्रीक प्रजाद्वारा पश्चिमके देशोंमें गये । प्रत्येक विद्याके सिद्धांतोंका वर्णन उस विद्याके प्राचीन संस्कृत ग्रंथोंमे उसकाल के प्रसिद्ध ऋषिमुनियोंने किये हुओ, पाये जाते है । उन ग्रंथों में उनके नाम भी जुटे हुआ