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* प्रासादमञ्जरी *
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कोटिगुना पुण्य मिलता है। मिट्टिका बांधने से उससे दशगुना, इंटका निर्माण करनेसे सौकरोडगुना और पाषाण का देवालय बांधने से तो अनंत गुना फल प्राप्त होता है। २६
___ वास्तु पूजन के सात मुहूर्तः–१ कर्मशिला स्थापन काल, २ द्वार स्थापन काल, ३ पद्मशिला स्थापन काल, ४ सुवर्ण पुरुप पधराने के समय, ५ आमल सारा स्थापन काल, ६ ध्वजारोहण काल, ७ देव प्रतिष्ठा समय। ये सात पुण्य कार्य करते समय वास्तु पूजन अवश्य करना चाहिये-२७
वास्तु शान्तिके चौदह मुहूर्तः–१ भूमिका आरंभ, खनन समय २ कर्मशिला स्थापन काल ३ (भूमि तल होने बाद) सूत्र छोडते समय ४ खुरा चिपकाते, ५ द्वार स्थापने ६ स्तंभारोपण काले ७ पाट भारोट स्थापन काले ८ गुम्बजकी पद्मशिला स्थापने ५ शिखरके शुकनाश स्थापन समये, १० सुवर्णका प्रासाद पुरुष पधराते ११ आमलसारा स्थापने १२ कलश स्थापने १३ ध्वजा रोहण काले १४ देव स्थापन
भ्रमयुक्त सांधार महाप्रामादका तलदर्शन
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निरंधार प्रासादका तलदर्शन