Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

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Page 136
________________ * प्रासादमञ्जरी • 78 IMAINMEROIN HTRA प्रव Aline Hetel ভিয়ারিয়া परिका YMIRRihendi.byutanane विधान प्रासादमाम बसARNALIसमय मोडमा सी HERaiमाययाका माय ART. प्रकार आठ गूढ मंडप के स्वरुप जानने । (मान चित्र यहाँ दिया गया है) कर्ण रेखा से दूना भद्र और पौने भागका प्रतिरथ और भद्रसे अर्ध मुखभद्र बनामा । ये मुखभद्र कक्षासन चंद्रावलोकित करना । २८ १४६ ४७. २९ गूढमंडप भित्ति दिवार युक्त होते इस लिये मंडपको प्रासाद जैसा पीठ एवं मंडावरका स्तर बनाना । एक या तीन द्वार करने से कामना फल प्राप्त होता है। द्वारके आगे एक या तीन या चार पदकी चोकी चतुष्किका करना ।

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