Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

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Page 142
________________ • प्रासादमञ्जरी * :--he art प्रभाकर यति मलाल -18 LIITMIINIKY "प्यार TIMADIROJ THINDI XKXxin ЯКАКЯКЯКАКЪКАК МЕЗКАКЯНУКЯЕТСЯ शारराजालाSRAMIKIE बालकासालारण 7KIKKKEEEREIKEIKIRTIRBERRERACKERAKTIRЕІRЕТЕККІРІК विताना विस्तार माग६६ WKKIIN - CAKLIKI - आगे या मध्यमें मंडप होवे उसको "पुष्कर"; राजभवन के आगे पांच या सात या नौ भूमि ऊंचे बलाणक को उत्तुङ्ग” कहते हैं; उत्तुग टावर या कीर्तिस्तंभ जैसा जानना । चितोडमें उत्तुग मंदिर के आगे और एक स्वतंत्र है। जो युद्ध विजय के स्मारकमें बनाया होनेका कहते है। पाटण सहस्रलिङ्ग के बडे सरोवर के किनारे पर ऐसा उत्तुङ्ग कीर्ति स्तंभ जैसा बनाया था अब उनका अवशेष भी नहि दिखाते। साहित्यमें उसका उल्लेख है । प्रजाका भवनके आगे हर्यशाल जो मूल घरसे नीचे

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