Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

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Page 140
________________ * प्रासादमञ्जरी * 82 - - - - - - - यसमंद घम - म -- -2 का LOT LION जयाबा | # श्रीवल्स NOc - HT पुण्यकादि मयडयो. - - +--- -- - - H0 -/गजमद कौशल्य Parit/A - 2-Am 4-4 अशोकर ओस्यकि. २ समतल अर्थात सीधी छत-छतियासे ढकाती छत ये "समतल" यह छातीया सादा हो या पदकी आकृति जैसा उत्कीर्ण हो । ३ उदित अर्थात् गुम्बजका कोल गवालुका थरो एक से एक संकिर्ण संकोची संक्षिप्त करके आच्छादित करके ढकनेकी रीति “ उदित " नामक कहाता है । बीचका झुमर जैसा विभाग पद्मशिला कहा जाता है ।

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