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________________ * प्रासादमञ्जरी * 32 कोटिगुना पुण्य मिलता है। मिट्टिका बांधने से उससे दशगुना, इंटका निर्माण करनेसे सौकरोडगुना और पाषाण का देवालय बांधने से तो अनंत गुना फल प्राप्त होता है। २६ ___ वास्तु पूजन के सात मुहूर्तः–१ कर्मशिला स्थापन काल, २ द्वार स्थापन काल, ३ पद्मशिला स्थापन काल, ४ सुवर्ण पुरुप पधराने के समय, ५ आमल सारा स्थापन काल, ६ ध्वजारोहण काल, ७ देव प्रतिष्ठा समय। ये सात पुण्य कार्य करते समय वास्तु पूजन अवश्य करना चाहिये-२७ वास्तु शान्तिके चौदह मुहूर्तः–१ भूमिका आरंभ, खनन समय २ कर्मशिला स्थापन काल ३ (भूमि तल होने बाद) सूत्र छोडते समय ४ खुरा चिपकाते, ५ द्वार स्थापने ६ स्तंभारोपण काले ७ पाट भारोट स्थापन काले ८ गुम्बजकी पद्मशिला स्थापने ५ शिखरके शुकनाश स्थापन समये, १० सुवर्णका प्रासाद पुरुष पधराते ११ आमलसारा स्थापने १२ कलश स्थापने १३ ध्वजा रोहण काले १४ देव स्थापन भ्रमयुक्त सांधार महाप्रामादका तलदर्शन FRILHER HAN लिस is निरंधार प्रासादका तलदर्शन
SR No.008427
Book TitlePrasad Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size5 MB
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