Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

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Page 35
________________ प्रासादमञ्जरी ग्रन्थमें उपर्युक्त शास्त्रीय ग्रन्थसूचि ऋण स्वीकार विश्वकर्मा प्रणित :- । सूत्रधार मंडन कृत :- | भोजदेव कृत :.. १ क्षीरार्णव ७ प्रासाद मण्डन | ११ समराङ्गण सूत्रधार | १२ बृहद्संहिता ८ देवतामूर्ति प्रकरणम् २ दीपार्णव द्रविडग्रन्थ :३ वृक्षार्णव सूत्रधार विरपाल कृत : | १३ मानसार ४ ज्ञान रत्नकोश ९ बेडाया प्रासादतिलक ५ सूत्र स तान अपराजित १५ काश्यपशिल्पम् सत्रधार राजसिंह कृत: १६ मत्स्यपुराण ६ विश्वकर्मा प्रकाश १० वास्तुराज १७ अग्निपुराण १४ मयमतम हमारा शिल्प स्थापत्य ग्रन्थोंका प्रकाशन १ दीपार्णव : श्री विश्वकर्मा प्रणित शिल्पका प्राचीन महान प्रन्थ-७६+४८८:५५४ पृष्ठों, ३५० लाइन ब्लोक रेखाचित्र; १०५ हाफटोन ब्लोक सहित, मूल श्लोक, टीकायुक्ति, मर्म और टीपणी आदिसे भरपूर, संपूर्ण विवरण के साथका । दलदार प्रन्थ; अध्याय २७ जिनमें अनेक देव-देवीओंका शिल्पाकृतियाँ-सांधार तल प्लान इलिवेशन साथ दिये गये हैं। अिस ग्रन्थ पर ना० जामसाहेब, श्री कनैयालाल मुनशीजी, डो. वासुदेवशरण अग्रवालजीने विस्तृत भूमिका दी है। सरकारका टेम्पलसर्वे सुप्री. श्री कृष्णदेवजी, द्वारिका पीठ के श्रीमद् शंकराचार्यजी, जैनाचार्य श्री विजयोदयसूरिश्वरजीने ग्रन्थकी प्रामाणिकता, उपयोगिता, और श्री प्रभाशंकरभाइके दीर्घ अनुभवकी प्रसंशा की है। ४४ पृष्ठोंकी विद्वतापूर्ण प्रस्तावना पढनेसे संपादकके अनुभव और विद्वताका परिचय होता है। मूल्य रु. २५. डाक खर्च पृथक २ प्रासादमञ्जरी (हिन्दी): __पंदरवीं शताद्विका यह ग्रन्थ सूत्रधार नाथजी- जो सूत्रधार मण्डनके छोटे बन्धु थे उन्होने “ वास्तुमञ्जरी” नामक वही अन्थ लिखा था उसके मध्यका स्तबक प्रासाद विषयका संक्षिप्त रुप है। उसमें ९० पृष्ठ, ८० ब्लोक रेखाचित्र और हाफटोन २० है । इस ग्रन्थकी भूमिका एशिया खण्डके सुप्रसिद्ध पुरातत्वज्ञ डो. वासुदेवशरण अग्रवालजीने लिखी है। जिसमें ग्रंथकी और संगदक श्री प्रभाशंकरभाइकी विद्वताका परिचय दीया है । भन्थकी हिन्दी आवृत्तिका मूल्य रु. ६-५० डाक खर्च पृथक

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