Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ * प्रासादमञ्जरी * तृतीयांशेन गर्भस्यात् भासादे प्रतिमोत्तमा । मध्यमा स्वदशांशोना पंचाशोना कनियसी ॥१६४|| प्रतिमा द्रष्टि स्थान आयभागे भजेद् द्वारमष्टमूर्ध्वतः त्यजेत् । सप्तमा सप्तमे द्रष्टिवषेसिंहे ध्वजे शुभा ॥१६५।। षष्ट भागस्य पंचाशे लक्ष्मीनारायणस्यदक् । शयनार्चाश लिङ्गानि द्वारान व्यतिक्रमात ॥१६६।। देवता पद स्थापन विभाग पट्टाधो यक्षभूताद्याः पट्टाग्रे सर्वदेवताः । तदने वैष्णव ब्रह्मा मध्ये लिङ्ग शिवस्य च ॥१६७।। प्रतिष्ठामुहूर्त पूर्वोक्त सप्तपुण्याह प्रतिष्ठा सर्वसिदिदा । रवौ सौम्यायने कूर्याद् देवानां स्थापनादिकम् ॥१६८॥ प्रतिष्ठा चोत्तरामूल आर्द्रायां च पुनर्वसौ । पुष्ये हस्ते मृगे स्वातौ रोहिण्यां स्रतिमैत्रमे ॥१६९।। तिथि रिक्ता कुजधिष्ण्य क्रुरविद्धं विधुं तथा । दग्धां तिथिं च गण्डान्त चरभोगग्रह त्यजेत् ॥१७०॥ मुदिने सुमुहूर्ते च लग्ने सौम्येयुतेक्षिते । अभिषेकः प्रतिष्ठा च प्रवेशादिकमिष्यते ॥१७१४ 36. Vss. 168 to 181 are absent in all the mss. Known from Saurashtra: these have however, bees noticed in those fron Rajasthan.

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158