Book Title: Prasad Manjari
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Balwantrai Sompura

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Page 36
________________ ३ मासादमञ्जरी (गुजराती): उपरोक्त लिखे विवरणवाली गुजराती आवृत्ति. मूल्य रु. ६-५० " ४ PRASADAMANJARI (अंग्रेजी): उपरोक्त दीये हूये विवरणवाली अंग्रेजी आवृत्ति-जिसका अंग्रेजी अनुवाद और अन्य विभाग. प्रस्तावना आदि विभाग पुरातत्वज्ञ विद्वान श्री मधुसुदन भाई ढाकीने अच्छी तरहसे लिखा है। भारतके प्रत्येक प्रांत और विदेशके शिल्प विषयका रसज्ञ विद्वानोंको भारतीय प्राचीन कलाका परिचय हो। अिस तरहसे लिखा है। मूल्य रु. ७-०० सात, डाक खर्च पृथक ५ वेधवास्तुप्रभाकर : इस ग्रन्थमें प्रासाद गृह, प्रतिमा आदिके वेधदोषका विवरण दीये हैं। विविध प्राचीन ग्रन्थोंके प्रमाणोंके सार अच्छी तरहसे लिखे हैं। यह ग्रन्थ " दीपार्णव " ग्रन्थकी पूर्तिरूप है। असमें क्रिया, विधि आदिका साहित्य भी दीया है। ये ग्रन्थ प्रेसमें छपा रहा है। मूल्य रु. ६ छ, डाक खर्च पृथक ६-७ क्षीरार्णव-वृक्षार्णव : विश्वकर्मा और नारदजीका संवाद रुप दोनो ग्रन्थ-अद्भूत अद्वितीय है। सांधार महा प्रासादो, और चतुर्मुख महा प्रासादोंके विषयमें तीनसे-बारा भूमि तकका उदययुक्त महा प्रासादका अद्भुत विवरण दीया है। दुष्प्राप्य शिल्प साहित्य प्राप्ति हुआ है। क्षीरार्णवका २२ अध्याय, ८०० श्लोक संख्या है और प्रासाद १८०० श्लोक प्रमाण है। यह दुष्प्राप्य अन्धका संशोधन हो रहा है। दोनु ग्रन्थमें महा चतुर्मुख प्रासादकी चारो और २७, २७ मंण्डप मेघनाथ आदि बनानेका विवरण है। तीन भूमितककी लिंगकी स्थापना की विधि चतुर्मुखमें कहा है। एसा अद्भुत प्रन्थ दुर्लभ है। ८ बेडाया प्रासाद विलक: ये ग्रन्थ पंदरवीं शताबीका सूत्रधार विरपालकी रचना है। शिल्पका अन्य ग्रन्थकी अनुष्टुप छन्दमें रचना की है। ये प्रासाद् तिलक संस्कृत राग रागिनीमें शार्दूलविक्रीडित, वसंततिलका आदि छंदमें ग्रन्थकी सुंदर रचना की है। अबतक उसका चार अध्याय प्राप्त हुआ है । ग्रन्थका संशोधन कार्य चल रहा है । प्रकाशको बलवंतराय प्र. सोमपुरा एवं मातृओ ३. पथिक सोसायटी सरदार पटेल कोलोनी अमदावाद-१३

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