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दशम
प्राकृत साहित्य में बाहुबली-कथा
जैन साहित्य में भगवान् ऋषभदेव के जीवन-वर्णन के प्रसंग में सम्राट् भारत एवं बाहुबली के जीवन के अनेक प्रसंग वर्णित हैं। प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश आदि कई भाषाओं में इन महापुरुषों के चरित्रों का वर्णन प्राप्त होता है। ऋषभदेव का जीवनवृत्त स्वतन्त्र रूप से प्राकृत में लिखा गया है। आदिनाहचरियं, रिसभदेवचरियं आदि प्राकृत ग्रन्थों में स्वतन्त्र रूप से एवं चौपन्नमहापुरिसचरियं, वसुदेव-हिण्डी, पउमचरिय, जम्बूदीवपण्णत्ति आदि प्राकृत ग्रन्थों में अन्य व्यकतियों के चरित्रों के साथ ऋषभदेव के जीवन का वर्णन प्राप्त होता है। भरत एवं बाहुबली ऋषभदेव के प्रमुख पुत्र थे। अतः प्रसंगवश उनके जीवन की कथा भी इन प्राकृत ग्रन्थों में प्राप्त होती है।
मूलकथा प्राकृत में : प्राकृत आगम साहित्य के कुछ ग्रन्थों एवं व्याख्यासाहित्य के कुछ ग्रन्थों में भी बाहुबली के उल्लेख प्राप्त होते है। कल्पसूत्र, आवश्यकनियुक्ति, आवश्यकचूर्णि, उत्तराध्ययनसूत्र की टीका आदि में बाहुबली के जीवन के कई प्रसंग वर्णित है। किन्तु यह आश्चर्य है कि बाहुबली का चरित्र इतना प्रसिद्ध और प्रभावशाली होते हुए भी प्राकृत के किसी स्वतन्त्र ग्रन्थ का विषय नहीं बना। ऋषभदेव तथा भरत के जीवन के साथ बाहुबली की कथा इतनी जुड़ी हुई थी कि प्राकृत के किसी ग्रन्थकार का ध्यान उन पर स्वतन्त्र ग्रन्थ लिखने पर नहीं गया। किन्तु अन्यान्य प्रसंगों में, प्राकृत में बाहुबली की कथा अवश्य लिखी जाती रही है। बाहुबली की कथा का मूल स्रोत प्राकृत में लिखा गया कोई ग्रन्थ रहा है, जो आज ज्ञात नहीं है। आवश्यक-नियुक्ति की टीका संस्कृत में है, किन्तु उसमें जब बाहुबली की कथा का प्रसंग आता है तो उसे प्राकृत में लिखा गया है जो इस कथा के प्राकृत मूल को स्पष्ट करता है। श्री शुभशीलगणि द्वारा विरचित भरतेश्वर-बाहुबलीवृत्ति नामक ग्रन्थ प्राकृत में उपलब्ध है, जिसमें बाहुबली की कथा वर्णित है। अतः प्राकृत आगम-साहित्य से लेकर प्राकृत के स्वतन्त्र कथाग्रन्थों तक बाहुबली की कथा निरन्तर विकसित होती रही है। इस कथा के उत्स एवं विकास पर स्वतन्त्र रूप से अध्ययन कये जाने की आवश्यकता है। पं. दलसुख भाई मालवणिया ने अपने एक निबन्ध में इस बात पर विशेष बल दिया है।
कथा का प्राचीन स्प: प्राकृत के प्राचीन ग्रन्थों में बाहुबली की कथा बहुत संक्षिप्त है। चौथी शताब्दी के प्राकृत ग्रन्थ वसुदेवहिण्डी में यह कथा इस प्रकार है:
बाहुबली, भगवान् ऋषभदेव के पुत्र तथा सम्राट् भरत के छोटे भाई थे। वे ऋषभदेव की दूसरी
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