Book Title: Prakrit Katha Sahitya Parishilan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 111
________________ पालि-प्राकत कथाओं के अभिप्राय/101 3. मोकसाहित्य विज्ञान - डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 2731 4. वाइज अवेक स्टोरीज में दिये गये नोट्स। 5. ओसन आफ स्टोरीज भाग-1-101 6. 'डिक्शनरी आफ वर्ल लिटरेचर' में 'मोटिफ' शब्द। 7. "They see the qualities of their own nature as common also to the animal ___world." - Primitive Art P.56, dy Leonard Adam. 8. विशेष के लिए देखें - 'पृथ्वीराजरासो में कथानक-सदियो' पृ. 571 9. महाभारत 21.51 10. भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र। 11. कुवलयमालाकहा, 88-901 12. ई. कुह- "Festorussn ao.v. Bohtilgk stuttgart" pp.68-76. 13. 'हिस्टरी ऑव इण्डियन लिटरेचर' भाग 2, पृ. 1251 14. उक्त जातकों के अभिप्राय जातक (6 भाग), अनु.-भदन्त आनन्द कोत्सल्यायन, से खोजे गये है। 15. विनय पिटक (हि. अनु.) पृ. 201-202। 16. कुंवलयमाला कहा, 88.90 17. हरिभद्र के प्राकृत कथा साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन पृ. 71 18. सूत्रकृतांग, द्वितीय खण्ड का प्रथम अध्ययन। 19. विशेष के लिए देखों - इस पुस्तक का अंतिम लेख । 20. समराइच्चकहा, दूसरा भव । 21. प्राकृत साहित्य का इतिहास - डॉ.जगदीश चन्द्र, पृ. 3981 22. उपदेशपद, गाथा 81 23. देखें - लेखक का 'सर्षपदाना अभिप्राय की लोक - यात्रा' नामक लेख। 24. उपसालहक जातक (166), 2.2011 25. चोल्लक, पाशक द्यत, रत्न, स्वप्न, चक्र, चर्म, यूप, और परमाणु के दृष्टान्त - उत्तराध्ययन टीका, तृतीय अध्ययन। 26. दशवैकालिकटीका, हरिभद्र गा. 371 27. हरिभद्र के प्रा. क. सा. आ. परि., पृ. 2861 28. जैन कहानियां भाग 2, पृ. 671 29. भगवान महावीर वी बोधकथाएं पृष्ठ 46 में उद्धत। 30. व्रज लोक साहित्य का अध्ययन - डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 463 । 31. जातक (हिन्दी अनु.) भाग 1 में 1, 3, 11, 15-16 एवं भाग 3 में 298, आदि नम्बर के जातक। 32. जैन कहानियां भाग 6, पृ. 561 33. ज्ञाताधर्मकथा श्रु. 1, अ.91 34. वही, श्रु. 1, अ. 41 35. वही, अ. 1, अ. 41 36. जैन कहानियाँ भाग 3, पृ. 471 37. हरिभद्र के प्राकृत कथा - साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन. 38. जैन कहानियां भाग 71 39. वही, भाग 3 पृ. 671 40. वही, भाग, 4 पृ. 201 41. जैन कहानियां भाग दो, पृ. 541 42. वही, पृ. 60 43. वही, भाग 10, पृ. 45। 44. वही, पृ. 341 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128