Book Title: Prakrit Katha Sahitya Parishilan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 128
________________ ग्रन्थ-चतुष्टय (डॉ. प्रेम सुमन जैन) - जैन धम और जीवन-मूल्य श्रमणधर्म की परम्परा, अनेकान्त, समता, अहिंसा, अपरिग्रह, स्वाध्याय आदि जैनधर्म के जीवन-मूल्यों पर वर्तमान सन्दर्भो के परिप्रेक्ष्य में प्रकाश डालने वाली चिंतन-प्रधान पुस्तक। रु. 90.00 प्राकृत-कथा साहित्य परिशोलन प्राकृत कथा साहित्य के उद्भव एवं विकास, भेद-प्रभेद, प्रतीक कथाओं, प्रतिनिधि कथा-ग्रन्थों एवं प्रमुख अभिप्रायों (Motifs) पर अभिनव सामग्री प्रस्तुत करने वाली शोधपूर्ण पुस्तक / रु.95.00 प्राकृत, अपभ्रश और संस्कृति भारतीय भाषाओं के विकास में प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं का क्रम एवं योगदान, प्राकृत के भेद-प्रभेद, भारतीय भाषाओं के साथ सम्बन्ध, प्रमुख भाषाविदों एवं ग्रन्थकारों का अवदान, सांस्कृतिक मूल्यांकन और लोक संस्कृति को उजागर करने वाली पुस्तक / जैन साहित्य की सांस्कृतिक भूमिका जैन साहित्य का ऐतिहासिक एवं सामाजिक महत्व, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, संस्कृत की जैन रचनाओं और कवियों तथा बिभिन्न ग्रन्थों के वैशिष्ट्य को रेखांकित करने वाली पुस्तक। रु.95.00 रु.95.00 संघी mShasan ( पुर Jain Educationa Intemational For Personal and Private Use Del www.janelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128