Book Title: Prakrit Katha Sahitya Parishilan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

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Page 127
________________ 020 Our नाव ३४ 30.20 Jain Educationa latemational डॉ. प्रेम सुमन जैन जन्म : 1 अगस्त, 1942, सिहूँड़ी (जबलपुर) शिक्षा : कटनी, वाराणसी, वैशाली एवं बोधगया में संस्कृत, पालि, प्रकृत, जैनधर्म तथा भारतीय संस्कृति का विशेष अध्ययन । 'कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन' विषय पर पी-एच. डी. । अब तक 21 पुस्तकों का लेखन-सम्पादन एवं लगभग 125 शोधपत्र भी प्रकाशित । सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के अध्यक्ष पद पर विगत 13 वर्षों से कार्यरत । देश-विदेश के विभिन्न सम्मेलनों में शोधपत्र वाचन । 1984 में अमेरिका एवं 1990 में यूरोप - यात्रा के दौरान विश्वधर्म सम्मेलनों में जैन दर्शन का प्रतिनिधित्व एवं जैनविद्या पर विभिन्न व्याख्यान सम्पन्न | सम्प्रति- प्राकृत, अपभ्रंश की प्राचीन पाण्डुलिपियों के सम्पादन- कार्य में संलग्न । प्राकृत - अध्ययन प्रसार संस्थान, उदयपुर के मानद निदेशक एवं त्रैमासिक शोध पत्रिका 'प्राकृत विद्या' के सम्पादक । For Personal and Private Use Only सम्पर्क : 29, सुन्दरवास (उत्तरी) उदयपुर - 313001 (राज०) www.jainelibrary.org.

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