________________
वारि (नपुं.)(वारि+सु, सुं) = वारीसु, वारीसुं (सप्तमी बहुवचन) महु (नपुं.)(महु+सु, सुं) = महसु, महसुं (सप्तमी बहुवचन)
मइ (स्त्री.)(मइ+सु, सुं) = मईसु, मईसुं (सप्तमी बहुवचन) लच्छी(स्त्री.)(लच्छी+सु, सुं) = लच्छीसु, लच्छीसु (सप्तमी बहुवचन) धेणु (स्त्री.)(धेणु+सु, सुं) = घेणूसु, घेणूसुं (सप्तमी बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू++सु, सुं) = बहूसु, बहूसुं (सप्तमी बहुवचन)
-
-
-
-
-
-
-
-----------
12.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु., स्त्री.)
द्वितीया बहुवचन 2/2 प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग और इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति बहुवचन में ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसेहरि (पु.) हरि का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = हरी (द्वितीया बहुवचन) गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी
__ (द्वितीया बहुवचन) साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साह (द्वितीया बहुवचन) सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = सयंभू
(द्वितीया बहुवचन)
. मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (द्वितीया बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = लच्छी
(द्वितीया बहुवचन) धेणु (स्त्री.) घेणु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = घेणू (द्वितीया बहुवचन) बहू (स्त्री.) बहू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = बहू (द्वितीया बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) .
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org