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वारि (नपुं.) (वारि+णो) = वारिणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - वारिस्स महु (नपुं.) (महु+णो) = महुणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - महुस्स
18.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) ।
तृतीया एकवचन 3/1 प्राकृत भाषा में इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त पुल्लिंग व इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति एकवचन में ‘णा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व स्वर ह्रस्व ही रहता है। जैसेहरि (पु.) (हरि+णा) = हरिणा (तृतीया एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+णा) = गामणिणा (तृतीया एकवचन)
साहु (पु.) (साहु+णा) = साहुणा (तृतीया एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभु+णा) = सयंभुणा (तृतीया एकवचन)
वारि (नपुं.) (वारि+णा) = वारिणा (तृतीया एकवचन) महु (नपुं.) (महु+णा) = महुणा (तृतीया एकवचन)
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.)
प्रथमा एकवचन 1/1 19. प्राकृत भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा
शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में ‘अनुस्वार' (-) जोड़ा जाता है। जैसे
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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