Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 186
________________ सनेह = स्नेह समुद्द = समुद्र सव्वज्ज = सर्वज्ञ सव्वण्ण = सर्वज्ञ सहाव = स्वभाव सावग = श्रावक साहु = साधु सिआल = सियार सिंगार = शृंगार सिमिण, = स्वपन, सपना सिविण, सुमिण सिआल = शृगाल सिलोअ = श्लोक सीस = शिष्य सीह = सिंह सुपुरिस = सज्जन सेल = पर्वत हणुमत = हनुमान · हत्थ = हाथ हरिस = हर्ष, आनन्द, प्रमोद संज्ञा शब्द नपुंसकलिंग अइसरिय = ऐश्वर्य, वैभव अच्छरिअ, आश्चर्य अच्छेर, अच्छअर, अत्थ = धन, पदार्थ अम्ब = आम अरण्ण, = जंगल रण्ण अविणय = अविणय ओसह = दवा कज्ज = कार्य कट्ठ = काठ, लकड़ी कमल = कमल कव्व = काव्य कुऊहल, = कुतूहल कोउहल्ल, कोऊहल खीर = दूध गउरव = गौरव, अभिमान गयण = आकाश गहीरिअ = गंभीर गेन्दुअ = गेंद घय = घी चक्क = गाड़ी का पहिया चन्दण = चन्दन का पेड़ चिण्ह = चिन्ह छीअ = छींक (नपुं., स्त्री.) छेत्त = आकाश प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) (173) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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