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तृतीया एकवचन 3/1 48. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के तृतीया
विभक्ति एकवचन में 'मि, मे, ममं, ममए, ममाइ, मइ, मए, मयाइ, णे' होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - मि, मे, ममं, ममए, ममाइ, मइ, मए,
मयाइ, णे (तृतीया एकवचन)
तृतीया बहुवचन 3/2 49. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'अम्हेहि, अम्हाहि, अम्ह, अम्हे, णे' होते
अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)- अम्हेहि, अम्हाहि, अम्ह, अम्हे, णे
(तृतीया बहुवचन)
पंचमी एकवचन 5/1 50. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
पंचमी विभक्ति एकवचन में 'मइ, मम, मह, मज्झ' के अन्त्य स्वर का दीर्घ करके पंचमी बोधक तो, ओ, उ, हि, हिन्तो और शून्य प्रत्यय जोड़े जाते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममाहि, ममाहिन्तो, ममा महत्तो, महाओ, महाउ, महाहि, महाहिन्तो, महा मज्झत्तो, मज्झाओ, मज्झाउ, मज्झाहि, मज्झाहिन्तो, मज्झा
(पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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