Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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परिशिष्ट-5 संज्ञा शब्द पुल्लिंग
अगणि = आग अग्गि = आग अच्छि = आँख अप्प, = आत्मा अप्पाण, अत्त अरह, = जिनदेव अरहन्त,
अरिह,
अरिहन्त अरि : दुश्मन अरूह = जिनदेव अवजस = अपकीर्ति अवरह = दोपहर अवसद्द = खराब वचन असोअ = अशोक वृक्ष अहरूट = नीचे का होठ आइरिअ = आचार्य आयरिअ आयास = आकाश (पु., नपुं.) आस = अश्व, घोड़ा इंदहणू = इन्द्रधनुष (पु., नपुं.) इसी = ऋषि, मुनि, साधु । ईसर = ईश्वर उऊ = ऋतु (तीनों.) उउम्बर = गूलर का पेड़ उच्छव = उत्सव
उच्छाह = उत्साह उवज्झाअ, उपाध्याय उट्ट = ऊँट उववास, = उपवास .
ओवआस, ऊआस उवसग्ग = उपसर्ग . उवहास = उपहास एरावण = इन्द्र का हाथी, ऐरावत कई = कवि कइलास = कैलास पर्वत कउरव = कौरव काल = समय किलेस = खेद, दुःख किविण = कंजूस कुज्जय = कूबड़ा कुञ्जर = हाथी कुल = परिवार (पुं., नपुं.) केलास = मेरूपर्वत खअ = क्षय, विनाश खग्ग = तलवार खण = क्षण खत्तिय = क्षत्रिय खम्भ = खम्भा गअ = गज, हाथी गउअ - गवय गद्दह = गधा
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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