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महु (नपुं.) (महु+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = महत्तो→महत्तो, महूओ, महउ, महूहिन्तो (पंचमी एकवचन)
कहा (स्त्री.) (कहा+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = कहात्तो-कहत्तो, कहाओ, कहाउ, कहाहिन्तो (पंचमी एकवचन) मइ (स्त्री.) (मइ+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = मईत्तो-मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो (पंचमी एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = लच्छीत्तो लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीउ, लच्छीहिन्तो (पंचमी एकवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = घेणूत्तो-धेणुत्तो, घेणूओ, धेणूउ, घेणूहिन्तो (पंचमी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = बहूत्तो-बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो (पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
----------------- इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं.)
षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग तथा इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय जोड़ने पर दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व का ह्रस्व ही रहता है। जैसेहरि (पु.) (हरि+स्स) = हरिस्स (षष्ठी एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी+स्स) = गामणिस्स (षष्ठी एकवचन) साहु (पु.) (साहु+स्स) = साहुस्स (षष्ठी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+स्स) = सयंभुस्स (षष्ठी एकवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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