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द्वितीया एकवचन - कत्तारं शेष रूप उकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द साहु के अनुसार बनेंगे। इसी प्रकार भत्तु (भरण-पोषण करनेवाला) और दाउ (दाता/देनेवाला) के रूप कत्तु के समान बनेंगे।
(ii) प्राकृत भाषा में विशेषणात्मक संज्ञा शब्द कत्तार (करनेवाला) का
प्रयोग होता है तो रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार बनेंगे।
3. (i) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माउ शब्द का प्रयोग हो तो प्रथमा
एकवचन व द्वितीया एकवचन में रूप निम्न प्रकार होंगे। जैसेप्रथमा एकवचन - माआ द्वितीया एकवचन - माअरं
शेष रूप उकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द घेणु के अनुसार बनेंगे। (ii) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माया/माअरा शब्द का प्रयोग हो
तो रूप स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार बनेंगे। (iii) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माइ शब्द का प्रयोग हो तो रूप
स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द मइ के अनुसार बनेंगे।
4.
प्राकृत भाषा में राजा के लिए राज, राय/राअ, रायाण का प्रयोग होता है। इनमें से राय/राअ और रायाण के रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव की तरह बनेंगे।
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प्राकृत भाषा में आत्मा के लिए अप्प/अत्त, अप्पाण और अत्ताण का प्रयोग होता है। अप्प/अत्त, अप्पाण और अत्ताण के रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव की तरह बनेंगे।
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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