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अन्य रूप- सव्वस्सिं, सव्वम्मि, सव्वत्थ त (वह) (पु.) (त+हिं) = तहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- तस्सिं, तम्मि, तत्थ ज (जो) (पु.) (ज+हिं) = जहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- जस्सिं, जम्मि, जत्थ क (कौन) (पु.) (क+हिं) = कहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- कस्सिं, कम्मि, कत्थ अन्न (अन्य) (पु.) (अन्न+हिं) = अन्नहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- अन्नस्सिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार आकारान्त स्त्रीलिंग ता, जा और का सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में भी विकल्प से 'हि' प्रत्यय जोड़ा जाता है। ता (वह)(स्त्री.) (ता+हिं) = ताहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- ताअ, ताइ, ताए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) जा (जो) (स्त्री.)(जा+हिं) = जाहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- जाअ, जाइ, जाए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) का (कौन) (स्त्री.) (का+हिं) = काहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- काअ, काइ, काए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार)
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग सव्वादि सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'एसिं' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेसव्व (सब) (पु.) (सव्व एसिं) = सव्वेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - सव्वाण, सव्वाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) अन्न (अन्य) (पु.) (अन्न+एसिं) = अन्नेसिं (षष्ठी बहुवचन)
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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